Tuesday, 15 March 2016

Success Stories: Sharmilee Kumari (Journey from Shanti Nagar to Lucknow)

सत्र 2011 के अगस्त माह में एनटीपीसी, रिहंद के कुछ अभियंता मेरे विद्यालय आए और उन्होने प्रयास टीम के द्वारा कर्मचारी विकास केंद्र में चलाये जा रहे गरीब बच्चों को अभियन्ताओं के द्वारा मुफ्त पढ़ाई के बारे में बताया और वहा हमलोगों को भी आने के लिए कहा । मैं भी अच्छी पढ़ाई करना चाहती थी । कुछ अच्छा सीखने की ललक से मैं भी वहाँ प्रतिदिन जाने लगी। मैं शांति नगर में रहती हूँ। मेरे पिता श्री जगई सिंह प्लांट मे हाईड्रा ऑपरेटर हैं । मुझे भी एनटीपीसी टाउनशिप के विद्यालयों में पढ़ने की इच्छा होती थी, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से मुझे सरकारी विद्यालय में ही नामांकन करा लिया था। पारिवारिक एवं सामाजिक परिवेश ऐसा था की हम लोग जैसे तैसे कर्मचारी विकास केंद्र चले जाते थे। हमारे कपड़े गंदे हुआ करते थे। बाल कंघा भी करके नहीं आते थे। कुछ बच्चे आपस में झगड़ भी लेते थे। प्रारब्ध में ठीक से पढ़ना भी नहीं आता था।
कर्मचारी विकास केंद्र में एनटीपीसी के अभियंता हमलोगो को पढ़ाई के साथ-साथ, अच्छे से रहना भी सिखाते थे। प्रेरणादायी कहानी बताते थे। छोटे-छोटे कार्यक्रम करवाते थे। खेल एवं योग के द्वारा हमलोगों के सोच मे काफी परिवर्तन आया। अनुशाशन में रहना सीख गये। इससे पढाई में और मन लगने लगा।नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग द्वारा कभी-कभी कॉपी-किताब भी हमलोगों को दिया जाता था। इससे हमलोगों को काफी सुविधा हो जाती थी। यहा आने के बाद लिखना-पढ़ना बढ़ गया था। उतनी किताबें-कापियाँ खरीदने में हममे से अधिकांश असमर्थ थे।प्रयास टीम हमलोगो के भविष्य की चिंता करते थे। भविष्य में हमलोग क्या बन सकते थे, इसके बारे में बताया करते थे। इसी उद्देश्य से पोलिटेकनिक परीक्षा की विशेष तैयारी कराई जाने लगी। गत वर्ष कृपाशंकर भैया यही से हमलोगों की तरह ही पढ़ाई करते हुए सफलता हासिल किया था। उन्होने भी हमलोगो को कड़ी मेहनत करने की सलाह दी थी, और बताया था की प्रयास टीम से हमलोगों को अधिक-से-अधिक लाभ उठाना चाहिए। इनके निर्देश में  कड़ी मेहनत करने से सफलता निश्चित है।

मैं भी कक्षा दस मे आ गयी थी। राघवेन्द्र सर ने हमलोगों को पढ़ाना शुरू किया। पुरे साल वे लगातार हमलोगों को प्रतिदिन दो तीन घंटे पढ़ाया करते थे। आरंभ में पाठ्यक्रम को पुरा पढ़ाया और फिर पोलिटेकनिक परीक्षा की तैयारी भी करवायी। मैं भी पहले की अपेक्षा ज्यादा पढ़ने लगी थी। सवेरे जल्दी उठकर पढ़ने की आदत लग गयी थी। नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व ने हमलोगों को पोलिटेकनिक परीक्षा की तैयारी हेतु गाईड दिया था, जिससे काफी लाभ हुआ। परीक्षा का फॉर्म भरना, परीक्षा दिलाने ले जाना इत्यादि काम भी प्रयास टीम ने हमलोगों के लिए किया। ईश्वर की कृपा से मैं प्रथम प्रयास में ही सत्र 2015-16 के लिए पास कर गयी और आज गवर्नमेंट पोलिटेकनिक कॉलेज, लखनऊ में पढ़ रही हूँ। शांतिनगर (रिहंद) से लखनऊ आने का यह सफर प्रयास टीम एवं एनटीपीसी के सहयोग से संभव हो पाया हैं।
 पढ़ाई करने के बाद मैं भी प्रयास टीम जो अब “नवोदय मिशन” के नाम से काम कर रही है, की सदस्य बनके गरीब बच्चो को उचित शिक्षा देने में अपना योगदान दूँगी। 

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